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यह सिर्फ एक नंबर नहीं बल्कि उनका ‘आधार कार्ड’ होता है, जिसमें उनका पूरा डिजिटल रिकॉर्ड होता है.
पशुओं के कान में लगा पीला टैग उनकी यूनिक डिजिटल पहचान है, जैसे इंसानों के लिए आधार कार्ड होता है.
इस टैग में पशु की पूरी जानकारी जैसे उम्र, नस्ल, टीकाकरण और उत्पादन से जुड़ी डिटेल डिजिटल रूप में दर्ज होती है.
यह योजना डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंड्री एंड डेयरीइंग ने शुरू की है, ताकि पशुपालन को अधिक संगठित बनाया जा सके.
इस टैग से सरकार को यह पता चल जाता है कि कौन-सा पशु कब टीका लगा चुका है और अगला टीका कब लगना है.
डिजिटल डेटा के जरिए पशुओं की सेहत की मॉनिटरिंग की जा सकती है, जिससे संक्रमण को समय पर रोका जा सके.
पशु आधार से किसानों को अपने पशुओं के उत्पादन और स्वास्थ्य की निगरानी करने में आसानी होती है.
टैग लगे पशुओं को सरकार की पशुपालन से जुड़ी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ आसानी से मिल सकता है.
देशभर में करोड़ों पशुओं का रिकॉर्ड एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होने से रियल-टाइम डेटा उपलब्ध रहता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.