देश की बड़ी आबादी गाय, भैंस और बकरी पालती है, जिनके लिए पौष्टिक चारा बेहद जरूरी है.

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मिलने वाला भीमल का पेड़ पशुपालन में अहम भूमिका निभाता है.

भीमल के पत्ते गाय और भैंस जैसे दूध देने वाले पशुओं की सेहत सुधारते हैं.

इसमें प्रोटीन, फाइबर और खनिज भरपूर होते हैं, जो पशुओं की ताकत और दूध की गुणवत्ता बढ़ाते हैं.

ये पत्ते पशुओं की पाचन क्रिया को संतुलित रखते हैं, जिससे बीमारियां कम होती हैं.

बरसात के मौसम में यह हरी घास पाचन को स्थिर रखकर मवेशियों को स्वस्थ बनाए रखती है.

भीमल सिर्फ चारे के लिए ही नहीं, इसकी लकड़ियों से मजबूत रस्सियां भी बनाई जाती हैं.

भीमल से मिलने वाला चारा और रस्सियां पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों की आय का साधन हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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