लंगड़ा बुखार की शुरुआत 104 से 106 डिग्री तक के तेज बुखार से होती है, जो पशु की ताकत छीन लेता है.

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बीमारी की हालत में पशु न खाना चाहता है, न पानी पीता है, जिससे उसका इम्यून सिस्टम तेजी से गिरता है.

पैरों में सूजन लंगड़ा बुखार की खास पहचान है. सूजन के कारण पशु लंगड़ाने लगता है और चलना बंद कर देता है.

गंभीर मामलों में पैरों की सूजन घुटनों तक पहुंचती है और चीरा लगाने पर खून निकलने लगता है, जो इमरजेंसी संकेत है.

अगर इलाज न मिले तो सूजन पैरों से बढ़कर कमर और कंधों तक पहुंच जाती है, जिससे पशु खड़ा भी नहीं हो पाता.

नमी और कीचड़ वाले मौसम में यह रोग ज्यादा फैलता है. अब गर्मियों में भी इसके केस बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है.

बरसात शुरू होने से पहले लंगड़ा बुखार से बचाव का टीका जरूर लगवाएं. यही बीमारी से बचने का सबसे असरदार उपाय है.

पशुओं को साफ और सूखी जगह पर रखें. कीचड़ और गंदगी से उन्हें दूर रखें ताकि बीमारी की आशंका कम हो.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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