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प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का जवाब देकर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है.
रत्नशास्त्र के अनुसार, कुंडली के ग्रह दोष दूर करने के लिए अलग-अलग रत्न धारण किए जाते हैं.
महाराज ने कहा कि अंगूठियों से कुछ नहीं होता, कर्म ही सबसे शक्तिशाली होता है.
अगर अंगूठियों से भाग्य बदलता, तो रत्न बेचने वाला सबसे सुखी व्यक्ति होता.
उन्होंने हंसी में कहा, “घोड़े की नाल की अंगूठी पहनने से साढ़े साती नहीं रुकती, वरना घोड़े की किस्मत पहले सुधर जाती.”
महाराज ने कहा कि अगर जीवन में सुधार लाना है, तो भगवान का नाम जपना शुरू करो.
“राधा राधा” का जाप करने से मन को शांति और आत्मा को सुकून मिलता है. यही दुखों का असली ‘एनकाउंटर’ है.
महाराज ने स्पष्ट कहा कि अंगूठियां सिर्फ शोभा बढ़ाने के लिए पहनें, लेकिन उनसे दुख दूर होने की उम्मीद न रखें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.