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इस व्रत को स्त्रियां अपने बच्चों की भलाई और परिवार की खुशहाली के लिए करती हैं, जिससे सुख-समृद्धि बढ़ती है.
2025 में छठ पर्व की शुरुआत शनिवार, 25 अक्टूबर को नहाय-खाय और 26 अक्टूबर को खरना किया जाएगा.
खरना का दिन व्रती के जीवन में शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जिसमें साधकों को स्वच्छता का ध्यान रखना होता है.
खरना के दिन मिट्टी के नए चूल्हे पर पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी जलाकर गुड़, चावल और दूध की खीर बनाई जाती है.
इसके साथ ही गेहूं के आटे से बनी रोटी, पूड़ी और ठेकुआ भी बनाकर छठी मैया को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है.
खरना के भोग को ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है, जो साधक के समर्पण और भक्ति का प्रतीक है.