ग्रामीण इलाकों में दुधारू पशु किसानों की आमदनी का सबसे बड़ा स्त्रोत बन चुके हैं. 

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ऐसे में बरसीम, जिरका और नेपियर जैसी पोषक घास अपनाकर किसान अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं.

बरसीम घास में कैल्शियम और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है, जिससे पशुओं की पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है.

जिरका घास की बुवाई आसान है और यह आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इससे दूध देने की क्षमता बढ़ती है.

नेपियर घास से पशु स्वस्थ रहते हैं और उनका दूध उत्पादन बढ़ता है. इससे किसानों को लंबी अवधि में अधिक लाभ होता है.

पशु चिकित्सक बताते हैं कि प्राकृतिक तरीके अपनाकर ही दुधारू पशुओं का पोषण करना चाहिए. 

सही घास और पोषण देने से गाय और भैंस लंबे समय तक नियमित रूप से अधिक दूध देती हैं.

कैल्शियम और फास्फोरस जैसी आवश्यक तत्वों से भरपूर घास खाने से पशुओं का स्वास्थ्य मजबूत होता है.

प्राकृतिक पोषण अपनाने से किसानों का मुनाफा सुरक्षित तरीके से बढ़ता है, जबकि दवाओं से जोखिम बढ़ जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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