भारत की देसी गायें सिर्फ दूध ही नहीं देतीं, बल्कि खेती और ढुलाई में भी किसानों के लिए मददगार साबित हो सकती हैं. 

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लाल या भूरे रंग की लाल सिंधी गाय रोज 11-15 लीटर दूध देती है. यह गर्मी व नमी में आसानी से पनपती है.

इस नस्ल को विदेशी गायों के साथ क्रॉसब्रीड किया जाता है, जिससे दूध उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है.

राजस्थान की थारपारकर नस्ल 6-8 लीटर दूध देती है और कम पानी व चारे में भी टिक जाती है. 

थारपारकर नस्ल कठिन जलवायु और सूखा झेलने में माहिर है, जिससे यह छोटे किसानों के लिए बेहद कारगर साबित होती है.

गुजरात की गिर नस्ल रोज 6-10 लीटर दूध देती है. इसके दूध में A2 प्रोटीन पाया जाता है.

गिर गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे यह आसानी से बीमार नहीं पड़ती. 

कांकरेज गाय रोज 5-7 लीटर दूध देती है और हल चलाने व ढुलाई जैसे कामों में किसानों की मदद करती है. 

कांकरेज नस्ल कम चारा खाने पर भी खेतों में बेहतर काम करती है और बीमार कम पड़ती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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