ग्रामीण भारत में पशुपालन अब किसानों के लिए आमदनी का सबसे बड़ा साधन बन चुका है.

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गाय या भैंसों को पर्याप्त पोषण न मिलने पर दूध की मात्रा में कमी आती है.

हरे चारे जैसे प्राकृतिक उपायों से पशुओं का दूध उत्पादन दोबारा बढ़ाया जा सकता है.

बरसीम घास में कैल्शियम और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है जो पाचन और दूध उत्पादन सुधारती है.

जिरका घास में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती हैं.

नेपियर घास पशुओं के स्वास्थ्य को मजबूत बनाती है और लगातार अधिक दूध उत्पादन में मदद करती है.

पशु चिकित्सकों के अनुसार, प्राकृतिक पोषण विधियों से दूध उत्पादन बढ़ाना ज्यादा स्थायी और सुरक्षित है.

किसानों को हॉर्मोन और अवैध दवाओं से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये पशुओं की सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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