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यह रोग गाय, भेड़, बकरी और सूअरों में फैलकर गर्भपात, दूध की कमी और कमजोरी जैसी समस्याएं पैदा करता है.
यह संक्रमण ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है और मुख्य रूप से भेड़, बकरी, सूअर और मवेशियों को प्रभावित करता है.
गर्भवती पशुओं में यह रोग गर्भपात और मृत भ्रूण का कारण बनता है, जिससे पशुपालकों को भारी नुकसान हो सकता है.
संक्रमित जानवरों में दूध की मात्रा घटती है और उसका पोषण मूल्य भी कम हो जाता है.
हल्का या तेज बुखार, कमजोरी, सुस्ती, जोड़ों में दर्द या सूजन और दूध में कमी प्रमुख संकेत हैं.
ब्रुसीलोसिस चुपचाप फैलता है और अगर समय पर पहचान न हो, तो यह अन्य पशुओं में भी तेजी से फैल सकता है.
सभी पशुओं का नियमित टीकाकरण सबसे असरदार उपाय है और इससे रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है.
पशुशालाओं को साफ और सूखा रखना, संक्रमित मल और अपशिष्ट तुरंत नष्ट करना और संक्रमित पशु को अलग रखना बेहद जरूरी है.
पशुओं को हमेशा शुद्ध पानी और पोषक तत्वों से भरपूर आहार देना उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.