हिंदू मान्यताओं के अनुसार तुलसी का पौधा घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है. इसका हरा-भरा रहना शुभ होता है.

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गर्मियों में तेज धूप, पानी की कमी और पोषण की गलत व्यवस्था तुलसी के पौधे को कमजोर कर देती है.

चाय बनाने के बाद बची चायपत्ती को फेंकने की बजाय उसे खाद की तरह इस्तेमाल करें. यह पौधे को जरूरी पोषण देती है.

तुलसी के गमले की मिट्टी को थोड़ा ढीला करें, फिर उसमें बची हुई चायपत्ती डालें और ऊपर से हल्का पानी छिड़क दें. 

चायपत्ती में नाइट्रोजन प्रचुर मात्रा में होता है, जो पत्तियों की हरियाली और तेजी से विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

चायपत्ती में मौजूद एसिडिक तत्व मिट्टी की गुणवत्ता सुधारते हैं, जिससे पौधा बेहतर तरीके से पोषक तत्व सोख पाता है.

अगर लगातार 15 दिनों तक यह प्रक्रिया अपनाई जाए, तो सूख चुकी तुलसी में दोबारा नई कोपलें आने लगती हैं.

चायपत्ती का ये उपाय सिर्फ तुलसी के लिए ही नहीं, बल्कि मनी प्लांट और फूलों के पौधों में भी कारगर साबित होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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