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महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात तक बिना भोजन और पानी के उपवास करती हैं, जो पति के लंबी आयु का प्रतीक माना जाता है.
व्रत खोलने से पहले महिलाएं छलनी से चंद्रमा देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा देखकर पारण करती हैं.
इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा की जाती है, जिससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का प्रतीक हैं. उनका दर्शन व्रत करने वाली महिलाओं के लिए प्रेम और लंबी आयु सुनिश्चित करता है.
चंद्रमा को सीधे देखने से बचने के लिए छलनी का उपयोग किया जाता है. साथ ही दीया नकारात्मकता को दूर करता है.
पूजा में मिट्टी के करवे का प्रयोग माता सीता और द्रौपदी की परंपरा का अनुसरण है. यह पांच तत्वों का प्रतीक माना जाता है.
सही विधि से व्रत और चंद्रमा दर्शन करने से पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.