करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं निर्जला रखती हैं. यह व्रत वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी के दिन पड़ता है.

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इस दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देना अनिवार्य माना गया है. व्रत तभी पूर्ण होता है जब चंद्र देव को जल अर्पित किया जाए.

कथा के अनुसार, जब गणेश जी को हाथी का सिर लगाया गया, तो चंद्र देव हंस पड़े थे, जिससे गणेश जी क्रोधित हो गए.

गणेश जी ने चंद्र देव को श्राप दिया कि वे अपनी चमक और सुंदरता खो देंगे, जिसके कारण चंद्रमा कांतिहीन हो गए.

गलती का एहसास होने पर चंद्र देव ने गणेश जी से क्षमा मांगी और श्राप से मुक्ति की प्रार्थना की.

उन्होंने कहा कि अब चंद्रमा की कांति कृष्ण पक्ष में घटेगी और शुक्ल पक्ष में बढ़ेगी. इसीलिए हर माह चांद घटता-बढ़ता है.

गणेश जी ने आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखेगा और चंद्रमा की पूजा करेगा, उसके कष्ट दूर होंगे.

तभी से हर संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा व अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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