क्या आपने कभी सोचा है कि सावन में ही भोलेनाथ का जलाभिषेक/रूद्राभिषेक क्यों किया जाता है?

PC: Canva

इसके पीछे समुंद्र मंथन के पीछे की कहानी जुड़ी है. मंथन के दौरान अमृत के साथ हलाहल विष भी निकला था.

इसके निकलने से पूरी धरती को खतरा था. ऐसे में भोले बाबा ने सृष्टि को बचाने के लिए विषपान किया था.

उसी की पीड़ा से राहत दिलाने के लिए उनका जलाभिषेक किया जाता है, ताकि उन्हें शीतलता मिल सके.

भगवान शिव ने जब हलाहल को अपने कंठ में रोक लिया तो उनका गला नीला पड़ गया. तभी से उन्हें 'नीलकंठ' कहा जाने लगा.

इसी स्मृति में सावन में विशेष अभिषेक होता है. शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मन को शांति मिलती है.

साथ ही आरोग्यता बढ़ती है और समृद्धि के मार्ग खुलते हैं. यह विशेष रूप से मानसिक तनाव में लाभकारी माना जाता है.

शिवजी को चढ़ाए गए अक्षत यानी साबूत चावल स्थिर लक्ष्मी और आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक माने जाते हैं. 

मान्यता है कि सावन में जो भी भक्त सच्चे भाव से शिव का रुद्राभिषेक करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: सावन में शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने का महत्व क्या है?