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गांवों में पशुपालन करने वाले किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता तब होती है जब दूध देने वाले पशु अचानक कमजोर पड़ने लगते हैं.
चारा अच्छा, पानी पर्याप्त और देखभाल पूरी, फिर भी दूध कम और थकान ज्यादा.
कई बार किसान इसे मौसम, चारे या नस्ल की कमजोरी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं.
लेकिन सच यह है कि पशु हालातों से नहीं, बल्कि अदृश्य दुश्मन परजीवियों से लड़ रहा होता है.
अच्छी बात यह है कि इससे बचाव का तरीका बेहद आसान है-गोबर की एक छोटी-सी जांच.
कई विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं के पेट, आंत और खून में रहने वाले परजीवी उनके शरीर से लगातार पोषक तत्व चूसते रहते हैं.
स्वच्छता, समय पर जांच और डॉक्टर की सलाह, यही पशु को परजीवियों से बचाने की सबसे मजबूत ढाल है.
थोड़ी सी सतर्कता न केवल पशु को स्वस्थ रखती है, बल्कि किसान की आय भी सुरक्षित करती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.