नवरात्रि और अन्य व्रतों में साबूदाना खिचड़ी, खीर और हलवा बनाकर खाया जाता है.

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साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है, जिससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है.

साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगता, बल्कि यह कसावा (टैपिओका) पौधे की जड़ों से बनाया जाता है.

कसावा की जड़ों को कूटकर दूध जैसा तरल पदार्थ तैयार किया जाता है.

इस तरल पदार्थ से गंदगी और अनचाहे तत्व निकालकर इसे शुद्ध किया जाता है.

शुद्ध तरल को गाढ़ा कर स्टार्च तैयार किया जाता है. गाढ़े स्टार्च को छोटे-छोटे मोती जैसे दानों में बदला जाता है.

इन दानों को सुखाकर ही साबूदाना बाजार में बिकने के लिए तैयार होता है.

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