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यह भेड़ साल में दो बार बच्चे देती है, जो इसे अन्य नस्लों की तुलना में अधिक प्रजनन क्षमता वाली बनाता है.
उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक सहित कई राज्यों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.
यह नस्ल 16 साल की वैज्ञानिक रिसर्च के बाद विकसित की गई है, जो इसे बेहद खास बनाती है.
एक साथ अधिक बच्चे और ऊन-दूध उत्पादन के चलते कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
अविशान नस्ल के मेमने अन्य नस्लों की तुलना में 30% तेजी से वजन बढ़ाते हैं.
यह नस्ल दूसरी भेड़ों से 40% अधिक ऊन और लगभग 200 ग्राम ज्यादा दूध देती है.
जन्म पर वजन 3.3 किलो होता है, जो 3 महीने में 16 किलो और 1 साल में 34 किलो तक हो जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.