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जहां फसलों का मुनाफा घट रहा है, वहीं भैंस पालन किसानों के लिए वरदान बन गया है.
नीली रवि और मुर्रा दोनों नस्लें सालाना 3000 से 3500 लीटर तक दूध देती हैं जो बाजार में ऊंचे दाम पर बिकता है.
भैंस पालन के लिए बड़े खेत की जरूरत नहीं होती. बस हवादार और छांवदार जगह पर इन्हें रखा जाए तो ये स्वस्थ रहती हैं.
साफ-सफाई, समय पर टीकाकरण और तय समय पर दूध दुहना सबसे जरूरी है. इससे संक्रमण से बचाव होता है.
हरा चारा, चोकर, दाना और मिनरल मिक्सचर से दूध की क्वालिटी और मात्रा दोनों बढ़ती हैं.
एक भैंस रोजाना 10 लीटर दूध दे तो किसान सालभर में 80 हजार से 1 लाख रुपये कमा सकता है.
भैंस पालन ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है और ग्रामीण स्तर पर रोजगार भी बढ़ाया है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.