भारत में गायें सिर्फ दूध का सोर्स ही नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बन चुकी हैं. 

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देसी और विदेशी नस्लें किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद कर रही हैं और व्यावसायिक दूध उत्पादन को भी मजबूती दे रही हैं.

साहीवाल, गिर, हरियाणा, थारपारकर और ड्यूनी जैसी देसी गायें कम देखभाल में भी ज्यादा दूध देती हैं.

साहीवाल और गिर नस्लें 14-15 लीटर तक दूध दे सकती हैं, जो A2 मिल्क श्रेणी का होता है.

देसी नस्लें भारतीय वातावरण में आसानी से अनुकूलित हो जाती हैं और बीमारियों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं.

होल्स्टीन फ्रीजियन, जर्सी और HF-क्रॉस जैसी विदेशी गायें 20 लीटर तक दूध देने में सक्षम हैं.

ब्राजील में गिर गाय के जीन को मॉडिफाई करके नई नस्ल विकसित की गई, जो 15-25 लीटर दूध दे सकती है.

भारत में गिर और साहीवाल नस्लों के संरक्षण के लिए सीमन स्टोर और प्रजनन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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