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इस नस्ल की भैंसें आमतौर पर 50 से 52 महीने की उम्र में पहली बार बच्चा देती हैं और फिर नियमित दूध उत्पादन करती हैं.
भदावरी भैंस को कम संसाधनों में भी आसानी से पाला जा सकता है, जिससे छोटे किसान भी इससे मुनाफा कमा सकते हैं.
तेज गर्मी और कठिन मौसम में भी ये भैंसें खुद को ढाल लेती हैं, जिससे इन्हें विशेष व्यवस्था की जरूरत नहीं होती.
यह भैंस आमतौर पर कम बीमार पड़ती है और इनके बच्चों की मृत्यु दर भी काफी कम होती है.
इस भैंस की पहचान उसके तांबे जैसी चमक वाले बदामी रंग से की जाती है. शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है.
इसके मोटे और चपटे सींग पीछे की ओर मुड़ते हुए ऊपर की तरफ अंदर की ओर जाते हैं, जो इसकी विशिष्ट पहचान है.
भदावरी नर भैंसों का वजन लगभग 500 किलो और मादा का 350–400 किलो तक होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.