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खुरपका-मुंहपका बीमारी का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है. इसलिए समय पर सतर्कता और रोकथाम ही सबसे असरदार हैं.
बछड़ों को पहला टीका 1 महीने की उम्र में, दूसरा 3 महीने में और तीसरा 6 महीने में लगवाना जरूरी है.
बीमार जानवरों को अलग बाड़े में रखें, ताकि संक्रमण स्वस्थ पशुओं तक न पहुंचे. इससे संक्रमण की चेन को तोड़ना आसान होता है.
बीमार जानवर की सेवा करने के बाद हाथ, कपड़े और जूते बदलना बेहद जरूरी है, ताकि वायरस दूसरे जानवरों में न फैले.
बाड़े और जानवरों के रहने की जगह को नियमित रूप से साफ रखें. कीचड़, गोबर और गंदगी से FMD के वायरस जल्दी फैलते हैं.
कमजोर बछड़ों में बीमारी जल्दी असर करती है. इसलिए उन्हें साफ, शांत और सुरक्षित माहौल दें जिससे उनकी इमयुनिटी बनी रहे.
किसी भी पशु में FMD के लक्षण दिखें—जैसे मुंह में लार गिरना, चलने में परेशानी तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.