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धर्मग्रंथों की माने तो मिट्टी के दीये को पूजा में दोबारा उपयोग करना शुभ नहीं होता है.
मान्यता है कि पूजा में जलाए गए मिट्टी के दीये नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेते हैं.
इस्तेमाल किए गए दीयों को बहते जल में विसर्जित न करें. उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी में दबाना सबसे शुभ है.
नदी या तालाब में दीया विसर्जित करने से जल प्रदूषण बढ़ता है. इसलिए पुराने दीयों को मिट्टी में ही दबा दें.
नया मिट्टी का दीया सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है. यह लक्ष्मी जी के आगमन का संकेत देता है.
शास्त्रों के अनुसार, मिट्टी के दीये को एक बार ही उपयोग में लेना चाहिए. नई पूजा में नया दीया जलाएं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.