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महाराज ने बेहद सरल भाषा में बताया कि भक्ति का असली स्थान क्या है और नाम-जप में रुचि कैसे बढ़ती है.
महाराज ने कहा असली भक्ति वही है जहां मन हर क्षण भगवान का नाम याद करे और उनका स्मरण अखंड रूप से चलता रहे.
उन्होंने बताया कि भगवान का नाम भूलने पर मन बिन पानी जैसे मछली की तरह तड़पे तो समझो भक्ति सही दिशा में है.
महाराज ने बताया कि इंसान के रोजमर्रा के काम भी ईश्वर को अर्पित होने चाहिए.
लोग नाम जप में मन न लगने की शिकायत करते हैं. महाराज ने बताया कि इसका कारण मन का भटकना.
उन्होंने कहा कि रोज संतों के भजन और कथा सुनने से मन स्वतः भगवान के नाम की ओर आकर्षित होता है.
महाराज ने उदाहरण दिया यदि रास्ते में पांच रुपये मिलें, तो मन ठहर जाता है. 500 मिलें तो उठाने का मन होता है.
जैसे धन मन को खींचता है, वैराग्य व श्रद्धा से भगवान का नाम भी मन को खींचने लगता है.
महाराज का स्पष्ट संदेश था — भगवान के नाम में रुचि तभी आएगी, जब हम रोज संतों की वाणी सुनेंगे.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.