नया साल सिर्फ पार्टी या जश्न नहीं, बल्कि खुद को सुधारने और दूसरों की मदद करने का मौका है. 

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प्रेमानंद महाराज के अनुसार सही तरीके से मनाया गया नया साल जीवन में खुशहाली और मंगल लेकर आता है.

नए साल पर शराब पीना, मांस खाना या व्यभिचार करना सनातन परंपरा के खिलाफ है. ये आदतें जीवन में खुशहाली नहीं लाती.

रात भर प्रभु का नाम जपें, भजन गाएं और भगवान का गुणगान करें. इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है.

नए साल की शुरुआत पशु-पक्षियों को खाना-पानी देकर करें. गाय को हरा चारा दें, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है.

ठंड में गरीब और जरूरतमंदों की मदद करें. शॉल, कंबल या खाना देकर दूसरों की खुशियों में शामिल हों.

भजन और नाम-स्मरण में और लोगों को जोड़ें. सामूहिक सेवा और भक्ति से उत्सव का महत्व बढ़ता है.

सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर अच्छे पल बिताना नए साल को सार्थक बनाता है.

नए साल पर भगवान का आशीर्वाद लेना चाहिए. मंदिर जाकर या तीर्थस्थल पर पूजा करना मन को संतोष देता है.

सच्चा नया साल वह है जिसमें भक्ति, दान, सेवा और पुण्य शामिल हों. ऐसा करने से पूरा साल मंगलमय बनता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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