ब्राह्मण, संत और जरूरतमंदों को श्राद्ध भोज देना शुभ होता है. गलत व्यक्ति को भोजन देने से पितर अप्रसन्न होते हैं. 

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श्राद्ध का पहला ग्रास ब्राह्मण को देना चाहिए. वे विष्णु के रूप माने जाते हैं और पितर उनके माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं.

यदि साधु-संत श्राद्ध भोज में आएं, तो उन्हें सबसे पहले भोजन कराना चाहिए. उनका आशीर्वाद सीधे पितरों तक पहुंचता है.

जो भूखा या गरीब है, उसे भोजन देने से पितर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं. यह सौ ब्राह्मणों को भोजन देने के बराबर पुण्य देता है.

श्राद्ध भोजन परिवार के सदस्य खुद खाने से पहले ब्राह्मण, संत और गरीब को खिलाना चाहिए.

विधवा बहू या बेटी को सम्मानपूर्वक भोजन दें. उनकी सेवा से पितरों को विशेष प्रसन्नता होती है.

शराब पीने वाले, मांसाहारी या अशुद्ध जीवन जीने वालों को श्राद्ध भोजन नहीं देना चाहिए. इससे पितर अप्रसन्न हो सकते हैं.

माहवारी या सूतक में महिला को श्राद्ध भोज में भोजन देना पितरों का अपमान माना जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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