परमात्मा सर्वत्र हैं, लेकिन उन्हें अनुभव करने के लिए हृदय की पवित्रता जरूरी है. 

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प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि तीर्थ यात्रा वही पवित्रता देती है, जिससे जीवन में भक्ति और शांति आती है.

प्रेमानंद जी कहते हैं कि तीर्थ स्थल का वातावरण, मंत्र और दिव्य ऊर्जा मन से नकारात्मकता हटाकर हृदय को शुद्ध बनाती है.

भगवान सर्वत्र हैं, लेकिन उन्हें पाने के लिए साधना जरूरी है और साधना की पहली शर्त है पवित्रता.

तीर्थ यात्रा से अनजाने में हुई गलतियों और पापों का क्षय होता है. वहां जाकर मन हल्का और आत्मा शांत महसूस करती है.

महाराज जी बताते हैं कि तीर्थ यात्रा में उपवास, फलाहार और संयम से की गई पूजा साधना को कई गुना प्रभावशाली बना देती है.

तीर्थ यात्रा में आने वाली शारीरिक असुविधाएं अहंकार को तोड़ती हैं. यह कष्ट भी पुण्य का कारण बनता है.

काशी, वृंदावन और हरिद्वार जैसे तीर्थों की यात्रा जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करनी चाहिए.

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यदि तीर्थ स्थल पर देह छूटे, तो जीव को उत्तम गति और भगवान की प्राप्ति होती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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