कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं.

Photo Credit: Canva

इस दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम (भगवान विष्णु के स्वरूप) से किया जाता है. यह परंपरा हजारों साल पुरानी है.

तुलसी विवाह दीपावली के बाद आने वाला पहला बड़ा धार्मिक पर्व है, जो पर्यावरण और प्रकृति से भी गहरा संबंध रखता है.

इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा. द्वादशी तिथि की शुरुआत सुबह 7:31 बजे से होगी.

तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराने वाले भक्त को कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है. 

तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. इस दिन की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और समृद्धि आती है.

तुलसी विवाह का व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष फलदायी माना गया है.

सुबह स्नान के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं, फल-फूल अर्पित करें और तुलसी माला का जाप करें. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: रासायनिक दवा नहीं, ये देसी घास बढ़ाएगी दूध की धार!