तीन पत्तों वाले बेलपत्र को त्रिपत्र कहा जाता है, जो शिव पूजन का अहम हिस्सा है और विशेष रूप से मान्य होता है.

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इस त्रिपत्र को ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों का प्रतीक माना गया है, जिससे शिव की कृपा सभी रूपों में मिलती है.

तीन पत्ते *सत्व, रज और तम* त्रिगुणों को दर्शाते हैं. इन पर नियंत्रण पाने में शिव पूजा सहायक मानी जाती है.

त्रिपत्र को भगवान शिव के त्रिनेत्र का भी प्रतीक माना गया है, जो ज्ञान, शक्ति और चेतना का रूप है.

शिवपुराण* के अनुसार, त्रिपत्र बेलपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

बेलपत्र चढ़ाने से मन, बुद्धि और आत्मा में संतुलन आता है, जो आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है.

मान्यता है कि तीन पत्तों वाला बेलपत्र शिव को अत्यंत प्रिय होता है, इससे वे जल्द प्रसन्न हो जाते हैं.

बिना त्रिपत्र बेलपत्र के शिव पूजन अधूरा माना जाता है, इसलिए यह हर पूजा में अनिवार्य रूप से चढ़ाया जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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