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यह खास नस्ल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से जुड़ी है, जहां इसे पारंपरिक रूप से पाला जाता है.
जमुनापारी बकरी का शरीर अन्य बकरियों से बड़ा, लंबा और भारी होता है, जिससे इसका मार्केट वैल्यू भी ज्यादा होता है.
यह नस्ल एक दिन में औसतन 2.5 से 3 लीटर तक दूध देती है, जिससे इसे दूध उत्पादन में भी बेहतर माना जाता है.
भारत सरकार ने जमुनापारी को “विश्व प्रसिद्ध प्रजाति” का दर्जा दिया है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग भी बढ़ी है.
जमुनापारी नस्ल में भी कई उप-प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में पाए जाते हैं और विशेष गुणों से पहचाने जाते हैं.
इस नस्ल की बकरियां मांस के लिए भी बहुत फायदेमंद होती हैं, क्योंकि इनका शरीर बड़ा और मजबूत होता है.
जमुनापारी बकरी की मार्केट में बहुत मांग है. इसकी अच्छी कीमत मिलने के कारण किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.