बकरी पालन कम निवेश में शुरू किया जा सकता है. खेती के साथ इसे करने से सालभर स्थायी आमदनी मिलती है.

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एक बकरी साल में दो से तीन बच्चे तक देती है, जिन्हें कुछ ही महीनों में ऊंचे दामों पर बेचा जा सकता है. 

जमुनापारी, सिरोही, बरबरी, बीटल और ब्लैक बंगाल नस्लें सबसे लोकप्रिय हैं. जमुनापारी को “बकरियों की रानी” कहते हैं.

बकरियों को रोजाना सिर्फ 2–3 किलो चारा और साफ पानी की जरूरत होती है. खेतों की झाड़ियां इनका भोजन बन जाते हैं.

बकरी पालन के लिए किसी महंगे शेड की आवश्यकता नहीं होती. साधारण बाड़े में बकरियों को आराम से पाला जा सकता है.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) योजना के तहत किसानों को बकरी खरीदने पर 35 से 50% तक सब्सिडी दी जाती है. 

नियमित टीकाकरण, स्वच्छता और पौष्टिक आहार देने से बकरियां स्वस्थ रहती हैं और तेजी से बढ़ती हैं.

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