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चराई आधारित पालन उन जगहों पर ठीक है जहां चारे की कमी हो, लेकिन इससे आमदनी सीमित रहती है.
बकरियों को घर पर बांधकर हरा चारा और दाना खिलाना सिरोही और बरबरी नस्लों के लिए लाभकारी होता है.
खूंटे से बंधी बकरियों में अगर नस्ल सही नहीं हो तो सेहत और ग्रोथ पर असर पड़ता है, जिससे बिजनेस घाटे में जा सकता है.
दिन में चराई और शाम को पौष्टिक चारा देने का तरीका सबसे प्रभावी है. इससे बकरियां तेजी से वजन बढ़ाती हैं.
मिश्रित पालन से न सिर्फ वजन, बल्कि दूध और मांस का भी उत्पादन बढ़ता है, जिससे कमाई के नए रास्ते खुलते हैं.
बारबरी और सिरोही जैसी नस्लें सीमित संसाधनों में भी अच्छी परफॉर्म करती हैं. नस्ल चयन से ही बिजनेस की नींव मजबूत होती है.
अगर बकरी पालन को बिजनेस बनाना है तो पोषण, प्रबंधन और मार्केट की मांग के अनुसार रणनीति बनानी होगी.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.