ब्रीडर बकरे की नस्ल जितनी शुद्ध और फिट होगी, उससे पैदा होने वाला बच्चा उतना ही सेहतमंद और मजबूत होगा.

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अब बिना बकरे के भी सीमेन तकनीक से बकरी को गाभिन कराया जा सकता है. बस बकरे की नस्ल की पूरी जांच जरूरी है.

बकरे का रंग, कान, चाल, हाइट और शरीर की बनावट उसकी नस्ल के अनुसार होनी चाहिए.

12 से 18 महीने के बकरे का वजन 35-40 किलो होना चाहिए. कमजोर बकरा बेहतर नस्ल नहीं दे सकता.

ब्रीडर बकरा एक्टिव, चंचल और बीमारियों से मुक्त होना चाहिए. सुस्त या रोगी बकरा क्रॉसिंग के लिए सही नहीं होता.

एक ही खून की नस्ल के मेल से बच्चे में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बकरी और बकरे में कोई रिश्ता नहीं होना चाहिए.

बकरे की मां कितना दूध देती थी, कितने बच्चे हुए थे, पिता का ग्रोथ रेट क्या था, ये सभी जानकारी जरूरी है.

बेहतर क्वालिटी वाला बकरा न केवल मजबूत संतान देता है बल्कि बाजार में उसकी संतानों की अच्छी कीमत भी मिलती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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