गंजम बकरी से एक ब्यांत में लगभग 65 लीटर दूध मिलता है और इसका मांस भी स्वादिष्ट होता है.

PC: Canva

इस नस्ल के दूध से बना घी अस्थमा जैसी समस्याओं में उपयोगी होता है, जिससे इसकी मांग और कीमत दोनों ज्यादा रहती है.

गंजम बकरी बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती है और कम देखरेख में भी अच्छी तरह पलती है. छोटे किसान भी इसे पाल सकते हैं.

यह नस्ल 0 से 466 मीटर ऊंचाई तक के क्षेत्रों में आसानी से पाली जा सकती है. पहाड़ी क्षेत्रों के किसान भी इसे पाल सकते हैं.

इस बकरी की छाती चौड़ी, पैर लंबे और मर्दाना सींगों की बनावट खास होती है, जिससे यह देखने में भी शानदार लगती है.

गंजम बकरी काले, भूरे, मिश्रित और सफेद धब्बेदार रंगों में मिलती है, जिससे इन्हें पहचानना आसान होता है.

इनका पालन 5-10 बकरियों से शुरू होकर 2000 बकरियों तक के बड़े झुंडों में किया जा सकता है.

सही गंजम नस्ल चुनकर किसान अपने उत्पादन और कमाई में कई गुना इजाफा कर सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: प्लेग और चेचक से कैसे करें बकरी का बचाव?