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शरीर पर उभरती दर्दनाक गांठें, बुखार और भूख न लगना बकरियों को कमजोर कर देते हैं.
यह मच्छर, मक्खी, टिक और संक्रमित पशु के संपर्क से जल्दी फैल जाता है. संक्रमित बकरी को झुंड से तुरंत अलग करें.
इस बीमारी में बकरियों की त्वचा पर कठोर और दर्दनाक गांठें दिखाई देती हैं जो बाद में घाव बन जाती हैं.
पहले बुखार, लार बढ़ना, आंखों से पानी आना और भूख कम होना शुरू होता है. धीरे-धीरे वजन घटता है.
लंपी वायरस गर्भवती बकरियों में गर्भपात तक करा सकता है. इससे किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
गांठें पैरों और जोड़ों के आसपास बन जाएं तो बकरी लंगड़ाकर चलती है या चलने से कतराती है.
मक्खियों-मच्छरों को दूर रखना, शेड की सफाई और घावों को एंटीसेप्टिक से साफ करना वायरस को फैलने से रोकता है.
नमक-मिनरल मिश्रण, विटामिन और संतुलित आहार देने से बकरियां वायरस से लड़ने में सक्षम होती हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.