बकरी पालन गांवों में हमेशा आय का आसान और भरोसेमंद जरिया रहा है. 

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लेकिन उस्मानाबादी जैसी प्रीमियम नस्ल किसानों को कम लागत में लाखों की कमाई दिलाने की ताकत रखती है.

उस्मानाबादी बकरी साधारण शेड, कम दाना और न्यूनतम देखभाल में भी तेजी से बढ़ती है.

यह नस्ल रोज 3–3.5 किलो तक दूध देती है, जो सामान्य बकरियों से कई गुना ज्यादा है. 

इस बकरी का वजन तेजी से बढ़ता है, इसलिए मीट क्वालिटी बेहतरीन होती है. इस वजह से ये बाजार में फटाफट बिकती है.

उस्मानाबादी बकरी एक साल में दो बार बच्चे देती है और हर बार 2 बच्चे आमतौर पर जन्म लेते हैं.

यह नस्ल गर्मी, सर्दी और बारिश—हर मौसम को आसानी से झेल लेती है. कम जगह में भी इसका विकास तेज रहता है.

ग्रामीण माहौल, खुले वातावरण और देसी खान-पान वाली परिस्थितियों में यह नस्ल सबसे अच्छे से पनपती है. 

आमतौर पर इसका रंग काला होता है, लेकिन सफेद, भूरा या धब्बेदार रूप भी मिलता है. 

यदि किसान अपने इलाके की जलवायु और बाजार की मांग देखकर उस्मानाबादी नस्ल चुनें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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