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आजकल यही बकरा कम खर्च में ज्यादा मुनाफे का जरिया बन रहा है और किसानों की आमदनी बढ़ा रहा है.
सिरोही नस्ल के बकरे लंबे कद, मजबूत शरीर, बड़ी टांगों और आकर्षक कानों के लिए जाने जाते हैं.
इसकी उत्पत्ति राजस्थान के सिरोही क्षेत्र से हुई है, लेकिन अब बिहार, UP और हरियाणा में भी इसका पालन बढ़ रहा है.
सिरोही बकरों को पालने में ज्यादा खर्च नहीं आता. साधारण चारा और देखभाल में ये अच्छी ग्रोथ दिखाते हैं.
सिरोही नस्ल के बकरे महज 18 महीनों में 55 से 60 किलो तक वजन हासिल कर लेते हैं.
जो किसान बकरीपालन को व्यवसाय के रूप में शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए सिरोही एक लाभकारी विकल्प मानी जाती है.
सिरोही नस्ल की मादा बकरी एक साल में औसतन दो बार बच्चे देती है. एक बार में एक से दो बच्चे होने से झुंड तेजी से बढ़ता है.
बच्चे देने के बाद यह नस्ल लगातार करीब तीन महीने तक रोजाना 1 से डेढ़ लीटर दूध देती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.