भीषण गर्मी और नमी के मौसम में धान की फसल को भूरा फुदका सबसे बड़ा खतरा बनकर घेर लेता है. 

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यह छोटा सा पक्षी कम समय में तैयार होकर किसानों को लगातार और भरोसेमंद आमदनी देता है.

बटेर का आकार छोटा होता है, इसलिए इसे बड़े शेड या खेत की जरूरत नहीं पड़ती.

बटेर पालन शुरू करने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती. धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जा सकता है.

मादा बटेर सिर्फ 6 से 7 हफ्तों में अंडे देना शुरू कर देती है, जिससे किसान को जल्दी कमाई मिलने लगती है.

एक मादा बटेर साल में करीब 250 से 300 अंडे देती है. इससे नियमित और स्थायी आय का जरिया बनता है.

बटेर का मांस स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. होटल, ढाबों और शहरों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.

अगर शेड साफ हो, हवा और रोशनी की सही व्यवस्था हो, तो बटेर में बीमारी का खतरा बहुत कम रहता है.

करीब 50 हजार रुपये की लागत से शुरुआत कर किसान हर महीने 1 से 1.5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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