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पहले बकरी पालन को सिर्फ गरीब या सीमांत किसान ही अपनाते थे, इसीलिए इसे गरीबों की गाय भी कहा जाता था.
लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. आज के समय में कई युवा और पढ़े-लिखे किसान बकरी पालन कर रहे हैं.
कम जमीन, कम लागत और तेज आमदनी की वजह से यह काम अब तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.
अगर सही तरीके से इसका मैनेजमेंट किया जाए तो यह काम हजारों रुपये की कमाई का जरिया बन सकता है.
बकरी पालन की शुरुआत सही नस्ल से ही होती है. हर इलाके की अपनी जलवायु होती है.
इसलिए नस्ल चुनते समय उस क्षेत्र की जलवायु और बकरी की सहनशीलता को ध्यान में रखना जरूरी है.
भारत में कुछ प्रमुख नस्लें हैं- जमुनापारी, ब्लैक बंगाल, बारबरी, बीटल, कच्छी, सिरोही और गुजराती नस्ल.
इनमें जमुनापारी और बीटल नस्ल दूध व मांस दोनों के लिए काफी अच्छी मानी जाती हैं.
एक अच्छा बकरा 9 महीने की उम्र में 15-20 किलो वजनी होना चाहिए और स्वस्थ दिखना चाहिए.
वहीं बकरी दूध देने वाली, तंदुरुस्त और ऊंची-लंबी होनी चाहिए. साथ ही उनमें रोगों से लड़ने की ताकत होनी चाहिए.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.