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पहले दिन व्रती सूर्योदय से पहले स्नान कर और शुद्ध भोजन के रूप में चना दाल, कद्दू सब्जी और चावल का प्रसाद खाते हैं.
दूसरे दिन व्रती गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाते हैं. इसे ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.
तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह दिन अनुशासन और भक्ति का प्रतीक है.
चौथे दिन सूर्योदय से पहले उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है. इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा में नदी-तालाबों की सफाई और प्रकृति की पूजा की जाती है. यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है.
माना जाता है कि छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
यह पर्व आत्म-नियंत्रण, श्रद्धा और शुद्धता का उत्सव है. निर्जला व्रत व्यक्ति के मन को दृढ़ और आत्मा को पवित्र बनाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.