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इस महापर्व में मुख्य रूप से छठी मैया और सूर्य देव की अराधना की जाती है. व्रत करने से जातक को सूर्य देव की कृपा मिलती है.
छठ व्रत करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं. सूर्य देवता की कृपा से स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
इस साल छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी और अंतिम अर्घ्य 28 अक्टूबर को दिया जाएगा.
पर्व का पहला दिन नहाय-खाय होता है. इस दिन व्रती पवित्र नदी या गंगाजल से स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं.
दूसरे दिन मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाई जाती है और छठी मैया को भोग लगाकर परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस समय छठी मैया की शक्ति का सम्मान किया जाता है.
अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है. छठी मैया को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.