छठ पूजा सिर्फ एक पर्व नहीं, आस्था और पवित्रता का प्रतीक है. इस चार दिनी व्रत में हर नियम का अपना महत्व होता है. 

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छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन घर की महिलाएं स्नान कर व्रत की तैयारी शुरू करती हैं.

यह पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर षष्ठी तक चलता है. पहले डूबते सूर्य और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

अंतिम दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा माना जाता है. इसे बेहद शुभ और पुण्यदायक माना जाता है.

व्रत के दौरान घर में सिर्फ सात्विक भोजन ही बनाएं. प्याज और लहसुन से परहेज करें, इससे मन शांत रहता है.

व्रती महिलाएं पूरे 36 घंटे तक बिना पानी के व्रत रखती हैं. इसे बेहद कठिन माना जाता है लेकिन आस्था से भरा हुआ होता है.

अगर व्रत के दौरान पानी पिया जाए तो व्रत खंडित माना जाता है. इसलिए पूरा संयम और श्रद्धा के साथ नियमों का पालन करें.

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और हर चीज साफ रखें. छठ में पवित्रता का बहुत बड़ा महत्व है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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