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मुर्रा भैंस की उत्पत्ति हरियाणा से मानी जाती है और यहीं पर यह नस्ल सबसे अधिक पाई जाती है.
एक मुर्रा भैंस प्रतिदिन औसतन 15 से 20 लीटर दूध देती है, जो अन्य नस्लों की तुलना में काफी ज्यादा है.
मुर्रा भैंस के दूध में करीब 7% फैट पाया जाता है, जो इसे मलाईदार और घी उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाता है.
इस भैंस के दूध में न सिर्फ फैट बल्कि भरपूर मात्रा में प्रोटीन भी होता है, जो इसे पौष्टिक बनाता है.
एक साल में मुर्रा भैंस लगभग 2500 से 3000 लीटर दूध देती है, जो कमर्शियल डेयरी के लिए फायदेमंद है.
मुर्रा भैंस अन्य नस्लों की तुलना में अधिक समय तक दूध देती है, जिससे फार्मिंग में लागत की भरपाई हो जाती है.
इसके दूध में उच्च फैट कंटेंट होने के कारण इससे ज्यादा मात्रा में मलाई और देसी घी निकाला जा सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.