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शुरुआत में इस बीमारी के कोई साफ लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसे समय रहते पहचान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
इस बीमारी से इंसानों को तेज बुखार होता है, जो कभी बढ़ता है, कभी कम होता है.
कुछ संक्रमित पशुओं में जोड़ों में सूजन आ जाती है और उन्हें चलने-फिरने में तकलीफ होने लगती है.
गर्भपात के बाद अगर जेर (प्लेसेंटा) न गिरे तो पशु को अंदरूनी संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
कच्चा दूध या संक्रमित पशु के गर्भपात से निकले तरल से इंसानों को यह बीमारी आसानी से लग सकती है.
यदि किसी क्षेत्र में 5% से अधिक मामले हैं तो 3 से 6 महीने की बछियों को ब्रुसेल्ला अबोर्टस स्ट्रेन-19 का टीका लगावाएं.
संक्रमित पशुओं को अलग रखें, A.I. तकनीक से प्रजनन कराएं और पशु-धातु से सीधे संपर्क से बचें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.