बारिश के दौरान दाने में नमी बढ़ जाती है, जिससे फफूंद पनपती है और माइकोटॉक्सिन जैसे ज़हरीले तत्व बनने लगते हैं.

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अफ्लाटॉक्सिन, टी-2 टॉक्सिन और जेरलेनॉन जैसे सूक्ष्म टॉक्सिन्स मुर्गियों के शरीर को अंदर से तोड़ते हैं.

शुरुआती लक्षणों में भूख कम होना, कमजोरी और अंडा उत्पादन में गिरावट दिखती है. 

मरी हुई मुर्गियों के लिवर में सूजन, किडनी खराब और पाचन तंत्र पर लाल धब्बे माइकोटॉक्सिकोसिस की पुष्टि करते हैं. 

इलाज शुरू करने से पहले पुराने या फफूंद लगे दाने को हटा दें और साफ, सूखा दाना दें. 

बारिश के मौसम में टॉक्सिन बाइंडर को दाने में मिलाना जरूरी है. ये माइकोटॉक्सिन को निष्क्रिय करता है.

दाने को सूखी, हवादार और पानी से दूर जगह पर स्टोर करें. प्लास्टिक बैग्स की जगह सुतली के बोरे का इस्तेमाल करें.

जैसे ही लक्षण दिखें, बिना देरी किए पोल्ट्री विशेषज्ञ से संपर्क करें. सेल्फ-ट्रीटमेंट की जगह प्रोफेशनल गाइडेंस लें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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