ग्रामीण पशुपालक अक्सर थनैल रोग जैसी बीमारियों से अपने दूध देने वाले जानवरों को बचाने में परेशान रहते हैं. 

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सही तकनीक अपनाकर आप पशुओं की सेहत और दूध की गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं.

दूध निकालने के आधे घंटे तक दुधारू जानवरों को जमीन पर बैठने से रोकें, ताकि थनों के खुले छेद से संक्रमण न हो.

मैस्टाइटिस यानी थनैल रोग थनों में सूजन, दर्द और लाली उत्पन्न करता है, जिससे दूध में थक्के या मवाद आ सकता है.

यह रोग जीवाणु, वायरस, कवक या माइकोप्लाज्मा जैसे रोगजनकों के कारण फैल सकता है.

पशुपालकों को दूध निकालने के दौरान और पशु आवास की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

दूध निकालने के बाद पशु को हरी घास और चारा खिलाएं, ताकि वे खड़े रहें और जमीन पर न बैठें.

जानवरों के बैठने वाले स्थान पर समय-समय पर चूने और फिनायल का छिड़काव करें, जिससे कीटाणु कम हों.

थनैल रोग के लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें, ताकि जानवर स्वस्थ रहे और दूध का उत्पादन सुरक्षित रहे.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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