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केले के पत्तों में फाइबर, मिनरल्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो पशुओं के पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं.
कुछ हफ्तों में ही केले के पत्तों से पशुओं का दूध उत्पादन 10-15% तक बढ़ जाता है और दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
यह पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और रासायनिक मुक्त है. खेत में बचे अवशेषों का उपयोग करके पर्यावरण को भी राहत मिलती है.
प्राकृतिक और हरे चारे से पशुओं की बीमारियां कम होती हैं, पाचन सही रहता है और उनकी ऊर्जा बढ़ती है.
स्वस्थ और अधिक दूध देने वाले पशु किसानों के लिए आय का बड़ा स्रोत बनते हैं.
केले के पत्ते डेयरी फार्मिंग सेक्टर में टिकाऊ, सस्ता और स्थानीय चारा विकल्प के रूप में अपनाए जा सकते हैं.
खेती के अवशेषों को सीधे चारे में बदलकर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं और जैविक पशुपालन को बढ़ावा दे सकते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.