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तेज बुखार, मुंह के छाले और दूध की कमी इसके प्रमुख संकेत हैं, इसलिए पशुपालकों को विशेष सतर्कता रखनी चाहिए.
खुरपका-मुंहपका एक ऐसा वायरस जनित रोग है जो गाय, भैंस, बकरी और सूअर समेत कई पशुओं को प्रभावित कर देता है.
इस बीमारी में पशुओं के मुंह में दर्द वाले छाले और खुरों में घाव बन जाते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने में मुश्किल होती है.
FMD का सबसे बड़ा असर दूध पर पड़ता है. संक्रमित पशु का दूध लगभग आधा तक कम हो सकता है.
संक्रमण होने पर जानवरों का शरीर अचानक गर्म हो जाता है. वे कमजोर पड़ने लगते हैं और सुस्ती दिखाने लगते हैं.
यह बीमारी हवा, लार, मल-मूत्र या दूसरे संक्रमित संपर्क से तुरंत फैल जाती है. एक संक्रमित पशु पूरे झुंड में वायरस फैला सकता है.
यह बीमारी हवा, लार, मल-मूत्र या दूसरे संक्रमित संपर्क से तुरंत फैल जाती है. एक संक्रमित पशु पूरे झुंड में वायरस फैला सकता है.
पशुपालन विभाग के अनुसार इस रोग से बचाव का सबसे भरोसेमंद उपाय है समय-समय पर FMD वैक्सीन लगवाना.
गोशाला, बाड़ा और पानी-चारा की जगह को नियमित रूप से साफ रखना चाहिए.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.