PC: Canva
ज्वार, बाजरा या अन्य हरे चारे को कच्ची अवस्था में कभी न काटें. इन्हें पूरी तरह बढ़ने के बाद ही उपयोग में लें.
पशुओं को सीधे खेतों में चरने से रोकें, क्योंकि वे अनजाने में जहरीला या सड़ा-गला चारा खा सकते हैं.
एक ही प्रकार का चारा न दें. मक्का, लोबिया, ज्वार आदि को मिलाकर संतुलित रूप में खिलाएं.
बरसात में नमी के कारण चारे में फफूंद लग सकती है. ऐसे चारे का सेवन पशुओं में पेट की बीमारियां का कारण बन सकता है.
रोगों से बचाव और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पशुओं को मिनरल मिक्सचर देना न भूलें.
एकदम से चारे या आहार में बदलाव करने से पशुओं की पाचन क्रिया बिगड़ सकती है.
अगर किसी चारे को लेकर संदेह हो या पशु बीमार दिखाई दे, तो बिना देर किए पशु चिकित्सक से सलाह लें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.