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200-250 ग्राम सरसों तेल में 300-350 ग्राम गेहूं का आटा मिलाकर मिश्रण बनाएं और शाम को चारे के बाद खिलाएं.
गेहूं दलिया, गुड़ का शरबत, जीरा, मैथी और अजवाइन को मिलाकर देसी औषधि बनाएं और बयाने के 3 दिन बाद से खिलाएं.
पशुओं को खुला चरने देने से वे अधिक एक्टिव रहते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है और दूध की मात्रा भी बढ़ती है.
गर्मी के दिनों में दिन में दो बार ठंडे पानी से नहलाने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और पशु तरोताजा महसूस करता है.
जब पशु खुश रहता है तो उसका पाचन और हॉर्मोन सिस्टम अच्छा काम करता है, जिससे दूध ज्यादा बनता है.
अच्छी नस्ल और सही उम्र के पशुओं में दूध उत्पादन पहले से ही बेहतर होता है. नस्ल के अनुसार ही देखभाल करें.
पशुओं का समय-समय पर इलाज और चेकअप कराना जरूरी है, ताकि कोई बीमारी न हो और दूध की मात्रा स्थिर बनी रहे.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.