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गर्मी में इन पत्तों का सेवन जानवरों को खांसी, दस्त, बुखार और पेट संबंधी समस्याओं से बचाता है.
कई किसानों में रोज सुबह या शाम के समय सीमित मात्रा में इन पत्तों को खिलाने से दूध की मात्रा में वृद्धि देखी है.
पहाड़ी इलाकों में यह उपाय सालों से अपनाया जा रहा है और आज भी किसानों का भरोसा बना हुआ है.
डॉक्टर्स का मानना है कि इन पत्तों में कोई हानिकारक तत्व नहीं होते, बस इन्हें सीमित मात्रा में देना जरूरी है ताकि ओवरडोज न हो.
महंगे सप्लीमेंट्स की तुलना में यह उपाय न सिर्फ किफायती है बल्कि हर किसान के लिए टिकाऊ और आसानी से उपलब्ध है.
स्थानीय किसान बताते हैं कि उन्होंने अपने बुजुर्गों को भी ये तरीका अपनाते देखा है और आज भी इसका असर वैसा ही है.
अगर सरकार और विभाग इस पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक रूप से प्रमोट करें तो यह पशुपालकों के लिए वरदान बन सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.