सर्दियों में तापमान गिरते ही पशुओं पर ठंड का असर दिखता है. बीमार होने पर दूध उत्पादन 15–20% तक घट सकता है. 

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सूडान, नेपियर, लेमन घास और सहजन के पत्ते दूध उत्पादन के लिए कैल्शियम और प्रोटीन का बेहतर स्रोत हैं.

सुबह और शाम थोड़ा अधिक मात्रा में पुवाल की कुट्टी के साथ चोकर और खल्ली मिलाकर देने से दूध उत्पादन स्थिर रहता है.

ठंड के दिनों में गुड़ देने से पशु का शरीर गर्म रहता है, स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध उत्पादन बढ़ता है.

पशुओं को दिन में दो या तीन बार संतुलित मात्रा में खाना दें ताकि ठंड में पाचन सही रहे और ऊर्जा बनी रहे.

हरे चारे और अतिरिक्त पोषक तत्वों के माध्यम से ठंड में भी पशु मजबूत और स्वस्थ रहते हैं.

ठंड में भी पर्याप्त गुनगुना पानी उपलब्ध कराना जरूरी है. यह दूध उत्पादन और शरीर की कार्य क्षमता बनाए रखता है.

पशुओं को खुली हवा और ठंडी हवाओं से बचाकर छायादार और गर्म स्थान पर रखें.

स्वास्थ्य में बदलाव, भूख या दूध में गिरावट पर तुरंत ध्यान दें और आवश्यकतानुसार पोषण बढ़ाएं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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